चैनल-हेड की सेवा में एक कविता--शीबा असलम फ़हमी
मुद्दे के एक ऊपर मुद्दा,
मुद्दे के एक नीचे मुद्दा,
कौन सा होगा राष्ट्रीय मुद्दा,
कौनसा होगा भूलना मुद्दा,
तय करेंगे हम हर मुद्दा,
जागीर नहीं है बहुजन मुद्दा,
एकलव्यों का वध-निपुण भारत,
पड़ोसियों से रह गया पीछे,
जवाब दे ब्राह्मणी पीतकारिता,
क्यों नहीं ये बहस का मुद्दा?
खैरलांजी, मिरचपुर, वेमुला,
एकलव्य का आखेट है मुद्दा,
मेरिट-मेरिट जपने वालों,
'सरस्वती' के कृपा-पात्रों,
पिघला सीसा डालनेवालों,
घृष्टता-छल के महारथियों,
अभिषेक का मुद्दा, प्रवेश का मुद्दा,
हाजीअली? शिगनापुर मुद्दा?
मूलनिवासी-भारतवासी,
अब तय करेंगे असली मुद्दा,
नंगा करेंगे मीडिया तुझको,
अब खेल ले तू मुद्दा-मुद्दा,
मीडिया के मठों के बाहर,
ज़िंदा रहेगा रोहित-वध,
न भटके बहुजन मुद्दा,
होगा यही सिरमौर मुद्दा।
--शीबा असलम फ़हमी
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